Monday, September 17, 2012

aadmi to ban lo

हर मोड़ पर कौन मिलता है ,
सिर्फ पीछे वाला ही छिपता है ,
फिर पूछिये उनसे पता अपना ,
आँख वाले को कब दिखता है,
कभी हसकर कभी रोकर कहिये ,
दिल है तेरा मेरा फिर बिकता है
कपडे की तरह ही तो बदले  है ,
प्रेम अपनी रोज इबारत लिखता है,
आज हम सब को मिल कर यह समझना होगा कि भारत हमारा उतना ही है जितना संसद में बैठे लोगो का .............क्यों हम सब रोज उनका कहना मान के अपने को प्रजतान्त्रितिक गुलाम बनाते जा रहे है .................जीवन जब एक बार मिलता है तो क्यों आप ऐसे जीना चाहते है जैसे आप  के गली का अनजाना जानवर  ........क्या आपको मनुष्य बन कर जीना बिलकुल पसंद नही ........काश आप भी ................शुभ रात्रि www.internationalseminar.in .
 

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