Sunday, September 2, 2012

chinti ki trah tumko bhi

बादल फटने पर कुछ लोग ही मरते है ,
पर आज तो दिल ही फट गया है मेरा ,
क्या कोई है जो गिन कर बता दे आलोक ,
कितने मरे जो कल तक जिया करते थे ,
आँखों में  पानी जरुरी कितना जनता हूँ ,
पर पानी बहा कर ही हस लिया करते है ,
कह कर निकल गए सब आबरू मेरी लूटी,
इज्जत वाले ही दाग समेट लिया करते है,
क्यों साथ दे तुम्हरा जिन्दगी मेरी अपनी है ,
बस रास्ता काट लेने को बात किया करते है ,
जब न पैदा न मरेंगे कभी भी साथ साथ कोई  ,
चीटी के एहसास में तुमको मसल दिया करते है ...............शुभ रात्रि

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