Sunday, September 2, 2012

ham to sambhal gaye

आज लोग यह कहते मिल गए ,
क्यों मेरे जीवन के तार हिल गए ,
कल तक हमको एहसास था अपना ,
आज क्यों अंतस से विकल गए ,
आप अपने तो कब दिखयेंगे यूँ ही ,
हम तो पानी थे बस मचल गए ,
आपकी जिन्दगी खाक हो रही तो ,
हम मजा लेकर फिर सम्भल गए ...................................आज लगा सब झूठ है ....खास तौर पर रिश्ता सिर्फ रिस रहा है चारो तरफ .......................

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