उस घर में हिंदू रहता है,
इस घर में मुस्लिम रहता है ,
वहां के घर में ईसाई रहता है,
यहां के घर में सिख रहता है ,
पर एक घर सदैव ही घर रहता है ,
कोई घर कभी भी हिंदू मुस्लिम ,
सिख इसाई नहीं रहता है ,
दीवारों की इस बात को ,
जो भी समझ जाता है ,
वह भला इस मकङ जाल में ,
कहां आता है ?
किसी घर को हिंदू मुस्लिम ,
सिख इसाई मत बनाइए ,
यही तो मानव का ,
मानवता से नाता है,
आलोक चांटिया
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