Sunday, April 30, 2023

तुम कहो तो हर सांस में आलोक से सवेरा कर दूं

 तुम कह दो तो एक कविता तुम पर लिख दूँ ,

तुम कह दो तो उसमे मन की बात कह दूँ ,

न जाने कितनी तपती रेत गुजरी पैरो  तले,

तुम कह दो तो एक बूंद पानी पर भी  रख दूँ ,

आँखे न बंद करो इतनी बेबसी से ऐसे आलोक ,

तुम कहो तो सपनो का रंग उनमे भी भर दूँ ,

जब आये ही थे खाली हाथ तो इतना दर्द क्यों ,

तुम कहो तो अपनी मुट्ठी में अँधेरा ही बंद कर दूँ ,

जब मिले थे इस दुनिया से क्या याद है तुमको ,

तुम रहो  तो यादो में नन्हा सा एक झरोखा कर दूँ ,

गुमनाम कौन न हुआ यहा चार कंधो पर चल कर ,

तुम कहो तो आज  बस आंसुओ का बसेरा कर दूँ ,

देख लो  बस एक बार जी  भर कर मुझे  जिन्दगी ,

तुम कहो तो हर सांस में   आलोक  से सबेरा कर दूँ

Alok chantia

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