Thursday, May 28, 2020

थक कर चूर चूर ................आलोक चांटिया

थक कर चूर चूर कहे मन मयूर ..................सपनो की दुनिया आ रही है ...............साँसों के सरगम अंधेरो में आकर ........................कोई नयी सोच पलकों में पा रही है .................खोया है दिन  का आलोक का साया ..........................चांदनी में सज कर देखे कौन आया ......................नींद के बहाने लोग मिलते बहुत है ...................खुली आँखों से जिनको ना मैंने है पाया

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