माँ मेरी या तुम्हारी हो ,
पर सबकी वो प्यारी हो ,
जागी जैसे रात रात भर ,
अब ये बारी तुम्हारी हो
...........................इस देश की ३६५ दिनों वाली सारी अम्माओं को शत शत नमन.आप के संयम अपने को मिटा देने का साहस और नाम से दूर समाज को गति देने के साहस ने भारत के संस्कार को शंकराचार्य , कृष्ण, राम , विवेकानद, दयानन्द , गांधी प्रणव मुखर्जी , नरेंद्र मोदी , अटल जी आदि को राष्ट्र गौरव के रूप में दिया आइये आपके अंतस के अंधकार में सृजन की आकांक्षा के दर्शन को हम समझ कर सही और सत्य रूप में आपको माँ का स्थान दे यही कामना अखिल भारतीय अधिकार संगठन की तरफ से हमारी .नमन
No comments:
Post a Comment