जिन्दगी ले कर आया हूँ ,
जिन्दगी देकर जा रहा हूँ ,
इस दुनिया से क्या कहूँ ,
लाश बन कर जा रहा हूँ ,
लोग कह क्यों रहे स्वार्थी ,
हा अर्थी ही सजा रहा हूँ ,
क्या मैं साधू नही लगता ,
जब सब छोड़े जा रहा हूँ ,
आलोक देखते थक गया ,
अँधेरे से इश्क लड़ा रहा हूँ ,
किलकारी-बोलने का सफर ,
तेरी यादो में छिपा रहा हूँ ,
कल रास्तो का सन्नाटा देखो ,
मेरे निशान न ढूंढ़ना कभी ,
ये तो दुनिया का दस्तूर था ,
आना है किसी और को अभी ........................................आज सतर्कता विभाग के अधीक्षक श्री वी ड़ी शुक्ल ने जब मुझसे पूछा कि मैं क्या सोच कर जिन्दगी में इतने कठिन रास्तो पर चल रहा हूँ तो मैंने उनसे कहा कि जब मैं जान लेकर इस दुनिया में आया और एक दिन ये दुनिया मेरी जान तक ले लेगी ....तो इस दुनिया से कैसा लगाव ............जब जान तक मेरी नही रहगी तो कौन और ???????????????? सोचिये और फिर सोचिये .....बस सोचिये कि एक दिन आपको अपनी जान तक इस दुनिया में छोड़ जानी हैं .................तो ...................शुभ रात्रि
जिन्दगी देकर जा रहा हूँ ,
इस दुनिया से क्या कहूँ ,
लाश बन कर जा रहा हूँ ,
लोग कह क्यों रहे स्वार्थी ,
हा अर्थी ही सजा रहा हूँ ,
क्या मैं साधू नही लगता ,
जब सब छोड़े जा रहा हूँ ,
आलोक देखते थक गया ,
अँधेरे से इश्क लड़ा रहा हूँ ,
किलकारी-बोलने का सफर ,
तेरी यादो में छिपा रहा हूँ ,
कल रास्तो का सन्नाटा देखो ,
मेरे निशान न ढूंढ़ना कभी ,
ये तो दुनिया का दस्तूर था ,
आना है किसी और को अभी ........................................आज सतर्कता विभाग के अधीक्षक श्री वी ड़ी शुक्ल ने जब मुझसे पूछा कि मैं क्या सोच कर जिन्दगी में इतने कठिन रास्तो पर चल रहा हूँ तो मैंने उनसे कहा कि जब मैं जान लेकर इस दुनिया में आया और एक दिन ये दुनिया मेरी जान तक ले लेगी ....तो इस दुनिया से कैसा लगाव ............जब जान तक मेरी नही रहगी तो कौन और ???????????????? सोचिये और फिर सोचिये .....बस सोचिये कि एक दिन आपको अपनी जान तक इस दुनिया में छोड़ जानी हैं .................तो ...................शुभ रात्रि
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