Thursday, February 2, 2012

suprabhat

मेरे हिस्से की पूरब में लाली आ गई ,
देखो कैसे चेहेरे पर खुशहाली आ गई,
चलो सभी कुछ कदम फिर साथ चले ,
सुबह की बयार और हरियाली आ गई ,
अंधेरो से निजात बंद आँखों ने दिया ,
आलोक की सौगात उसको आ भी गई ,
चलो कुछ देर गा ले अब  सांसो के गीत ,
उम्र से हार करहर कही तरुणाई आ गई  .................चलिए आप सभी को अखिल भारतीय अधिकार संगठन सुप्रभात कहने आ गया .............एक नया दिन नै सोच पा गया

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