Monday, January 8, 2024

जमीन के साथ जुड़कर ही किसी का भी जीवन निखर पाता है

 जमीन के साथ जुड़कर ही 

किसी का भी 

जीवन निखर पाता है

 एक बीज भी अपने 

अंदर की छुपी हुई प्रतिभाओं को

 दुनिया को बता पाता है 

दुनिया भी पा जाती है 

पत्ती फूल फल तना और छाया 

जब भी जमीन से 

जुड़कर रह जाता है 

सोच कर देखो तुम अपनी 

जमीन से कितना जुड़े हो 

क्या उस जमीन के लिए तुम 

कभी कहीं किसी भी पल खड़े हो 

या तुम्हारे अंदर से 

निकल कर आया है जमीन से 

जुड़ कर तुम्हारे व्यक्तित्व का 

वह सारा सार 

जिससे आज तक था अनजान 

यह सारा आलोक संसार 

गर जमी से जुड़कर 

नहीं रहना सीखोगे तो भला अपनी

 पहचान से इस दुनिया को क्या दोगे 

जो तुम्हारे अंदर है वह 

बाहर आने का रास्ता है 

इस जमीन से जुड़ना 

देखो कुछ भी कर लो पर जमीन से

 मुंह फेर कर कभी ना कहीं मुड़ना 

आलोक चांटिया

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