Sunday, July 30, 2023

तन्हाई जब , दर्द से मिलती है , poem by Alok chantia

 तन्हाई जब ,

दर्द से मिलती है ,

ये मत पूछो रात भर ,

क्या बात चलती है ,

दीवारों के पीछे कुछ ,

नंगे होते बेशर्म सच ,

साकी सी आँखे ,

बार बार मचलती है ,

शब्दों की खुद की ,

न सुनने की आदत ,

दिल की आवाज बस ,

हर रात ही सुनती है ,

तारों के साथ गुजरी ,

लम्हों में सांसो के बाद ,

सुबह की आहट आलोक ,

क्यों मुझको खलती है ,

अकेले में अकेले का ,

एहसास जब मिलता है ,

जिंदगी क्या बताऊँ ,

तू कैसे संग चलती है

आलोक चांटिया

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