तन्हाई जब ,
दर्द से मिलती है ,
ये मत पूछो रात भर ,
क्या बात चलती है ,
दीवारों के पीछे कुछ ,
नंगे होते बेशर्म सच ,
साकी सी आँखे ,
बार बार मचलती है ,
शब्दों की खुद की ,
न सुनने की आदत ,
दिल की आवाज बस ,
हर रात ही सुनती है ,
तारों के साथ गुजरी ,
लम्हों में सांसो के बाद ,
सुबह की आहट आलोक ,
क्यों मुझको खलती है ,
अकेले में अकेले का ,
एहसास जब मिलता है ,
जिंदगी क्या बताऊँ ,
तू कैसे संग चलती है
आलोक चांटिया