तुम कह दो तो एक कविता तुम पर लिख दूँ ,
तुम कह दो तो उसमे मन की बात कह दूँ ,
न जाने कितनी तपती रेत गुजरी पैरो तले,
तुम कह दो तो एक बूंद पानी पर भी रख दूँ ,
आँखे न बंद करो इतनी बेबसी से ऐसे आलोक ,
तुम कहो तो सपनो का रंग उनमे भी भर दूँ ,
जब आये ही थे खाली हाथ तो इतना दर्द क्यों ,
तुम कहो तो अपनी मुट्ठी में अँधेरा ही बंद कर दूँ ,
जब मिले थे इस दुनिया से क्या याद है तुमको ,
तुम रहो तो यादो में नन्हा सा एक झरोखा कर दूँ ,
गुमनाम कौन न हुआ यहा चार कंधो पर चल कर ,
तुम कहो तो आज बस आंसुओ का बसेरा कर दूँ ,
देख लो बस एक बार जी भर कर मुझे जिन्दगी ,
तुम कहो तो हर सांस में आलोक से सबेरा कर दूँ
Alok chantia