जिन्दगी ले कर आया हूँ ,
जिन्दगी देकर जा रहा हूँ ,
इस दुनिया से क्या कहूँ ,
लाश बन कर जा रहा हूँ ,
लोग कह क्यों रहे स्वार्थी ,
हा अर्थी ही सजा रहा हूँ ,
क्या मैं साधू नही लगता ,
जब सब छोड़े जा रहा हूँ ,
आलोक देखते थक गया ,
अँधेरे से इश्क लड़ा रहा हूँ ,
किलकारी-बोलने का सफर ,
तेरी यादो में छिपा रहा हूँ ,
कल रास्तो का सन्नाटा देखो ,
मेरे निशान न ढूंढ़ना कभी ,
ये तो दुनिया का दस्तूर था ,
आना है किसी और को अभी .......
Alok chantia
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