Thursday, June 25, 2020

कुछ भी भूल जाने की बीमारी...............BY ALOK CHANTIA

कुछ भी भूल जाने की बीमारी,
इस देश की है देखो  महामारी,
क्या लाये थे क्या ले जायेंगे ,
न संग आये थे न संग जायेंगे
फिर कौन पड़े इन झमेले में ,
मरते तो रोज दुनिया के मेले में,
नेता जनता की बीमारी जब से जाने ,
हर गलत काम किया माने न माने,
बलात्कार ,भर्ष्टाचार ,सूखा,और भूखा,
किसके लिए आवाज नहीं आई ,
पर दूसरे दिन सो कर जब जागे,
बीमारी ने अपनी अलख जगाई ,
हर कोई फिर रोटी को ही भागे,
किसी ने पूछ लिया आन्दोलन,
तो बोले हम है भारत के अभागे ,
अच्छा चलता हूँ सब्जी लेनी है ,
जिसने जो किया सबको यही देनी है 
तभी किसी  ने की केदारनाथ की बात,
बोले चलो ये मुद्दा कल ही उठाते है ,
आखिर अपने ही देश के लोग मरे है,
सरकार से कुछ तो अच्छा करवाते है ,
तभी एक फ़ोन आ जाता है और ,
वो बीमारी में फिर सब भूल जाता है,
सब दुखो में यही सर्वोत्तम पाता है ,
देश में प्रजातंत्र इसीलिए अभी चल रहा,
तभी एकडाकू नेता बन संसद में आता है
आलोक चांटिया 
 क्या यह सही नहीं है कि हमें अंग्रेजो ने बाटो और राज करो में उलजह्या पर क्या आज भी हम रोजी रोटी के कारण अपने देश के हर संकट को सिर्फ दो दिन याद रखते है और भूल जाते है

आदमी के बीच में आदमी .............by ALOK CHANTIA

आदमी के बीच में आदमी ..............,
खुद को अब अकेला पाता है .............
दर्द किसी को भी हो तो ....................
कौन दौड़ कर अब आता है ................
सड़क पर कुत्ता रुक जाता है ............
वह अपने को जब मरा पाता है ...............
बैठता है रोता है रात भर .................
बिना कुछ खाए पिए उदास ...............
कई और आ जाते है पास ..................
क्योकि वो जानते है आदमी ...............
नहीं आज कुत्ता कुचला है यहाँ .................
वरना आदमी मर जाते है ..............
और आदमी के पास वक्त कहा ............
रोज की तरह खाते है पीकर ...................
कहते है जो मरे क्या मिला जीकर ...........
क्या जरूरत थी कही जाने की ..............
जरूरत रही होगी मोक्ष पाने की ...............
बेवजह सुबह से शाम तक बस .....................
मरने मरने की खबर हर कही ................
क्या हम पैदा दुःख मनाने को कही ................
देखो आज मैच आ रहा होगा .................
जिसने जो किया वो भोगा......................
तभी कुत्ते फिर थे रोये कही .................
बाहर देखो कोई कुत्ता मारा होगा .................
अब साले रात भर मातम मनाएंगे .................
औ हम मानव की नींद खा जायेंगे ....................
ये साली सरकार क्या कर रही है ..................
मरने वालो को कितना दे रही है .................
काश कोई अपना उत्तराखंड जाता ...............
मरने वालो के पैसे ही ले आता ................
साले ये सरकारी लोग खा जायेंगे ...............
हम तो बस दर्द ढ़ोते रह जायेंगे ...................
कितनी फुर्सत है लोगो के पास ....................
जाने वालो पर समय बर्बाद करते है ...................
अरे  जो आया है वो जायेगा ही .......................
हम क्यों अपनी नींद ख़राब करते है ...................
वैसे भी साले कुत्ते गाना गायेंगे ही ........................
अपने किसी मरने वाले का सिजरा........................
मुहल्ले वाले को सुनायेंगे ही .........

आप लोग मेरी लाइन्स पर बुरा मत मानियेगा पर ये सच है की अगर कोई मानव हमारा सगा सम्बन्धी अहि है तो हमको कोई दर्द होता ही नहीं है मानो सबको गीता का ज्ञान हो चुका

रात का गुनाह ..........BY ALOK CHANTIA


क्यों कहे कि हम जिन्दा है .....BY ALOK CHANTIA


दिन भर कूड़े की तरह ........BY ALOK CHANTIA


जब से जिंदगी की ................BY ALOK CHANTIA


जीवन क्या चाहता है ...........BY ALOK CHANTIA


आपने खुद को परोसने की ........BY ALOK CHANTIA


समुन्दर से उठ कर ..........BY ALOK CHANTIA


जमीन के दर्द को ...............BY ALOK CHANTIA


बन कर प्रेमी धरा का .................BY ALOK CHANTIA


देख कर चलो ..BY ALOK CHANTIA


Tuesday, June 23, 2020

जब से जिंदगी की .........BY ALOK CHANTIA


रात का गुनाह .......BY ALOK CHANTIA


आदमी के बीच में आदमी..............BY ALOK CHANTIA

आदमी के बीच में आदमी ..............,
खुद को अब अकेला पाता है .............
दर्द किसी को भी हो तो ....................
कौन दौड़ कर अब आता है ................
सड़क पर कुत्ता रुक जाता है ............
वह अपने को जब मरा पाता है ...............
बैठता है रोता है रात भर .................
बिना कुछ खाए पिए उदास ...............
कई और आ जाते है पास ..................
क्योकि वो जानते है आदमी ...............
नहीं आज कुत्ता कुचला है यहाँ .................
वरना आदमी मर जाते है ..............
और आदमी के पास वक्त कहा ............
रोज की तरह खाते है पीकर ...................
कहते है जो मरे क्या मिला जीकर ...........
क्या जरूरत थी कही जाने की ..............
जरूरत रही होगी मोक्ष पाने की ...............
बेवजह सुबह से शाम तक बस .....................
मरने मरने की खबर हर कही ................
क्या हम पैदा दुःख मनाने को कही ................
देखो आज मैच आ रहा होगा .................
जिसने जो किया वो भोगा......................
तभी कुत्ते फिर थे रोये कही .................
बाहर देखो कोई कुत्ता मारा होगा .................
अब साले रात भर मातम मनाएंगे .................
औ हम मानव की नींद खा जायेंगे ....................
ये साली सरकार क्या कर रही है ..................
मरने वालो को कितना दे रही है .................
काश कोई अपना उत्तराखंड जाता ...............
मरने वालो के पैसे ही ले आता ................
साले ये सरकारी लोग खा जायेंगे ...............
हम तो बस दर्द ढ़ोते रह जायेंगे ...................
कितनी फुर्सत है लोगो के पास ....................
जाने वालो पर समय बर्बाद करते है ...................
अरे  जो आया है वो जायेगा ही .......................
हम क्यों अपनी नींद ख़राब करते है ...................
वैसे भी साले कुत्ते गाना गायेंगे ही ........................
अपने किसी मरने वाले का सिजरा........................
मुहल्ले वाले को सुनायेंगे ही .........

आप लोग मेरी लाइन्स पर बुरा मत मानियेगा पर ये सच है की अगर कोई मानव हमारा सगा सम्बन्धी अहि है तो हमको कोई दर्द होता ही नहीं है मानो सबको गीता का ज्ञान हो चुका

कभी तो कोई अच्छा सा .........BY ALOK CHANTIA


मेरे पास छोड़ जाओ ............BY ALOK CHANTIA


उम्मीद का कारंवा लेकर .........BY ALOK CHANTIA


मैं रोज साँसों को खींच कर ..........BY ALOK CHANTIA


आती जाती साँसों से ..........BY ALOK CHANTIA


माना कि हम दोनों में ........BY ALOK CHANTIA


कुछ कदम साथ चल कर ...BY ALOK CHANTIA


इश्क़ की इबारतों को .........BY ALOK CHANTIA


जीवन की तलाश में देखो .....BY ALOK CHANTIA


सूरज की बदनसीबी तो नहीं ....BY ALOK CHANTIA


कब तक तमन्नाओ के बीज ....BY ALOK CHANTIA


जब भी मैं तुम्हारे सामने ........BY ALOK CHANTIA


मन कागज की नाव ....BY ALOK CHANTIA


कौन बताएगा अंधेरों में .....BY ALOK CHANTIA


बहुत आसान था कहना ........BY ALOK CHANTIA


तारों की बारात ..............BY ALOK CHANTIA


टिमटिमाते तारों की तरह............by alok chantia


Sunday, June 21, 2020

कमबख्त अँधेरे से कौन ..........BY ALOK CHANTIA


अंधेरों से जब से .......BY ALOK CHANTIA


आँखों के अँधेरे में जो .............BY ALOK CHANTIA


मेरे पास जिन्दा रहने के ........BY ALOK CHANTIA


ये सच है कि............BY ALOK CHANTIA

विश्व योग दिवस पर आप सभी को शुभकामना एक बार किसान के इस योग को भी पहचानिए

किसान के इस योग को पहचानिए 
ये सच है कि ,
मैं तेरा दौर नहीं ,
ये झूठ है ,
कि अब और नहीं ,
इस दुनिया में ,
आकर जाना भी है ,
कोई करे कितने जतन ,
पर ये किसी का ठौर नहीं|
ये सच है कि 
मैं तेरा दौर नहीं ...
........आलोक चान्टिया

जिंदगी का इश्क़ भी ......................BY ALOK CHANTIA