Friday, April 24, 2020

बलात्कार......

बलात्कार......

न जाने कितनी आँखे रोती रही ,
और मौत मेरे संग सोती रही ,
कब पसंद आई मोहब्बत उनको ,
तन्हाई कमरे में अब होती रही ,
कितने बेदर्दी से निकाला घर से ,
सांस न जाने कहाँ खोती रही ,
मेरी प्रेम कहानी का अंत देखो ,
मौत जल कर जिन्दगी ढोती रही ,
मेरी राख को भी नदी में बहा कर ,
मिटटी में कोई बीज फिर बोती रही,
ये क्या आलोक को सिला मिला उनसे ,
मौत को देख उनकी मौत होती रही ,..............बलात्कार से एक लड़की के शरीर की ही मौत नहीं होती बल्कि उसकी आत्मिक , मानसिक मौत भी हो जाती है
डॉ आलोक चान्टिया
अखिल भारतीय अधिकार संगठन

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