नमन काव्योदय आज का कार्य
दिनांक -३०-०९-२०१९विषय-गरीबी
सड़क के किनारे,
भारत माँ,
चिथड़ो में लिपटी ,
इक्कीसवी सदी में ,
जा रहे देश को ,
दे रही चुनौती,
खाने को न रोटी ,
पहनने को न धोती ,
है तो उसके हाथ में ,
कटोरा वही ,
जिससे झलकती है ,
प्रगति की पोथी सभी ,
किन्तु हर वर्ष ,
होता है ब्योरों का विकास ,
हमने इतनो को ,
बांटी रोटी ,
और कितनो को आवास ,
किन्तु ,
आज भी है उसे ,
अपने कटोरे से आस ,
जो शाम को ,
जुटाएगा एक रोटी ,
और तन को ,
चिथड़ी धोती ,
पर लाल किले से,
आएगी यही एक आवाज़ ,
हमने इस वर्ष ,
किया चहुमुखी विकास ,
हमने इस वर्ष ,
किया चहुमुखी विकास |
डॉ आलोक चान्टिया"महा-रज"
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