मुझको मालूम है ,
कि मेरी जिन्दगी में ,
सुबह का सबब ,
थोडा कुछ कम है ,
लेकिन जरा उन ,
अंधेरो से पूछो ,
जो मेरे साथ है,
रौशनी उनका दम है ,
बंजर सूखी जमीन ,
रौंदी गयी पावों से,
सुबह से नहीं वो भी ,
अँधेरी राह से नम है ........................
कष्ट से भागने के बजाये उनका स्वागत कीजिये क्योकि दर्द देकर ही सृजन का अर्थ स्पष्ट किया जाता है|
कि मेरी जिन्दगी में ,
सुबह का सबब ,
थोडा कुछ कम है ,
लेकिन जरा उन ,
अंधेरो से पूछो ,
जो मेरे साथ है,
रौशनी उनका दम है ,
बंजर सूखी जमीन ,
रौंदी गयी पावों से,
सुबह से नहीं वो भी ,
अँधेरी राह से नम है ........................
कष्ट से भागने के बजाये उनका स्वागत कीजिये क्योकि दर्द देकर ही सृजन का अर्थ स्पष्ट किया जाता है|
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