जो भी पाया था ,
उसके जाने का ,
वक्त आ रहा है ,
संजो भी ना सका ,
अब तो लूटने का ,
मंजर आ रहा है ,
जिंदगी आलोक में है ,
रास्ते अंधेरो में ,
गुजर रहे है ,
साँसे तो चल रही है ,
खुद हर किसी में ,
मौत जी रहे है ,
ये कैसा सिला मिला ,
किसी से मिलने का ,
फिर बिछड़ने का ,
मौका भी मिला तो ,
चार कंधो पर ,
आज संवरने का ,
ये वर्ष जो जा रहा है ,
वो वर्ष जो आ रहा है ,
कोई मुझको पा रहा है ,
कोई मुझसे जा रहा है ,
जीना इसी का नाम है ,
चलना इसी का काम है ,
मुबारक हो साल अब ये ,
कल इसकी आखिरी शाम है ....................आइये सोचे कितने आजीब है हम जो यह नहीं समझ पाते कि हम सिर्फ किसी की तलाश में इस दुनिया में नहीं आये बल्कि दुनिया हमको तलाश रही है ......कुछ करने के लिए कुछ कहने के लिए ...अखिल भारतीय अधिकार संगठन
उसके जाने का ,
वक्त आ रहा है ,
संजो भी ना सका ,
अब तो लूटने का ,
मंजर आ रहा है ,
जिंदगी आलोक में है ,
रास्ते अंधेरो में ,
गुजर रहे है ,
साँसे तो चल रही है ,
खुद हर किसी में ,
मौत जी रहे है ,
ये कैसा सिला मिला ,
किसी से मिलने का ,
फिर बिछड़ने का ,
मौका भी मिला तो ,
चार कंधो पर ,
आज संवरने का ,
ये वर्ष जो जा रहा है ,
वो वर्ष जो आ रहा है ,
कोई मुझको पा रहा है ,
कोई मुझसे जा रहा है ,
जीना इसी का नाम है ,
चलना इसी का काम है ,
मुबारक हो साल अब ये ,
कल इसकी आखिरी शाम है ....................आइये सोचे कितने आजीब है हम जो यह नहीं समझ पाते कि हम सिर्फ किसी की तलाश में इस दुनिया में नहीं आये बल्कि दुनिया हमको तलाश रही है ......कुछ करने के लिए कुछ कहने के लिए ...अखिल भारतीय अधिकार संगठन
आपकी लिखी रचना बुधवार 01/01/2014 को लिंक की जाएगी...............
ReplyDeletehttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in
आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
सुन्दर.......नव वर्ष मंगलमय हो
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