तुम समझ ही ना पाये ,
कि हम यहाँ क्यों आये ?
बस समझते रहे ,
सुबह से शाम तक ,
जिन्दा रहने को ,
आखिर किससे कहे ,
यूँ तो मानते हो ,
तुम कुछ अलग हो ,
उन सब से ज्यादा ही ,
पर वो भी भाग रहे ,
तुम भी भाग रहे ,
जानवरो से ज्यादा ही ,
क्या आलोक नहीं है ,
जिंदगी में तुम्हारी ,
पीछे क्या रह जायेगा ,
जिंदगी के बाद हमारी ..................अखिल भारतीय अधिकार संगठन
कि हम यहाँ क्यों आये ?
बस समझते रहे ,
सुबह से शाम तक ,
जिन्दा रहने को ,
आखिर किससे कहे ,
यूँ तो मानते हो ,
तुम कुछ अलग हो ,
उन सब से ज्यादा ही ,
पर वो भी भाग रहे ,
तुम भी भाग रहे ,
जानवरो से ज्यादा ही ,
क्या आलोक नहीं है ,
जिंदगी में तुम्हारी ,
पीछे क्या रह जायेगा ,
जिंदगी के बाद हमारी ..................अखिल भारतीय अधिकार संगठन
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