साँसे दौड़ी तन के रथ पर .................,
क्या कुछ ना देखा पथ पर .............
जरा साँसों का खेल तो देखिये .............
एक को छोड़ सवार दूसरे पर .................
आपको लगता है कि आप जी रहे है और आप नश्वर शरीर को लेकर घमंड करते रहते है पर सच यह है कि प्रेम साँसों से करिए पता नहीं आपकी बेरुखी से कब बेवफा हो जाये .............................शुभ रात्रि
क्या कुछ ना देखा पथ पर .............
जरा साँसों का खेल तो देखिये .............
एक को छोड़ सवार दूसरे पर .................
आपको लगता है कि आप जी रहे है और आप नश्वर शरीर को लेकर घमंड करते रहते है पर सच यह है कि प्रेम साँसों से करिए पता नहीं आपकी बेरुखी से कब बेवफा हो जाये .............................शुभ रात्रि
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