Wednesday, June 19, 2013

जीवन चला चार कंधो पर

मैंने भी लूटा है खर्च ,
होने से पहले सांसो का मजा ,
बेवजह दौड़ते पैरो को मिलेगी ,
कब की फ़िक्र कौन सी सजा ,
कहते सभी थे रुक जाओ ,
ये उम्र सांसो की कमाई है ,
नौ महीने की तपस्या से ये ,
इस दुनिया में आ पाई है ,
पर लगा कि ये बकवास तो ,
सदियों से दुनिया ने गयी है ,
कितना थका कि आज मन ,
तन भी देखो उठा ही नहीं ,
चार कंधो पर चला जा रहा जैसे  ,
जीवन आलोक ने छुआ ही नहीं ......................................जीवन को समझिये और इसको भी पैसे की तरह खर्च करिए वरना मिलकर भी मिटटी में मिल जायेगा

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