न जाने कितनी आँखे रोती रही ,
और मौत मेरे संग सोती रही ,
कब पसंद आई मोहब्बत उनको ,
तन्हाई कमरे में अब होती रही ,
कितने बेदर्दी से निकाला घर से ,
सांस न जाने कहाँ खोती रही ,
मेरी प्रेम कहानी का अंत देखो ,
मौत जल कर जिन्दगी ढोती रही ,
मेरी राख को भी नदी में बहा कर ,
मिटटी में कोई बीज फिर बोती रही,
ये क्या आलोक को सिला मिला उनसे ,
मौत को देख उनकी मौत होती रही ,................शुभ रात्रि
और मौत मेरे संग सोती रही ,
कब पसंद आई मोहब्बत उनको ,
तन्हाई कमरे में अब होती रही ,
कितने बेदर्दी से निकाला घर से ,
सांस न जाने कहाँ खोती रही ,
मेरी प्रेम कहानी का अंत देखो ,
मौत जल कर जिन्दगी ढोती रही ,
मेरी राख को भी नदी में बहा कर ,
मिटटी में कोई बीज फिर बोती रही,
ये क्या आलोक को सिला मिला उनसे ,
मौत को देख उनकी मौत होती रही ,................शुभ रात्रि