ठण्ड से हारती धूप देख लीजिये ,
हर जुल्मो सितम पर रहम कीजिये ,
आज भी सोया पुल पर एक आदमी,
उसको भी अपना आलोक कह लीजिये ,
माना कि नेता आप बन गए हमारे ,
फिर भी आदमी होने का वहम कीजिये,
मत देकर कोई हमने गुनाह न किया ,
हमे लूटने पर थोडा तो शर्म कीजिये ,
वक्त बदलते ना लगती देर मालूम है ,
हर लम्हे से अब थोडा डरा कीजिये ,
वो देखिये फिर चला देश का आदमी ,
उसको दिल्ली का तख़्त अब दे दीजिये ,
हारे खड़े खुद अपनी करनी के कारण,
पांच सालो की मस्ती याद कर लीजिये ,
कितना रोया था मै तेरे दरवाजे पर आकर,
उन अश्को से तौबा अब तो कर लीजिये ,......akhil bhartiye adhikar sangthan ki tarf se dr alok chantia ki rachna
हर जुल्मो सितम पर रहम कीजिये ,
आज भी सोया पुल पर एक आदमी,
उसको भी अपना आलोक कह लीजिये ,
माना कि नेता आप बन गए हमारे ,
फिर भी आदमी होने का वहम कीजिये,
मत देकर कोई हमने गुनाह न किया ,
हमे लूटने पर थोडा तो शर्म कीजिये ,
वक्त बदलते ना लगती देर मालूम है ,
हर लम्हे से अब थोडा डरा कीजिये ,
वो देखिये फिर चला देश का आदमी ,
उसको दिल्ली का तख़्त अब दे दीजिये ,
हारे खड़े खुद अपनी करनी के कारण,
पांच सालो की मस्ती याद कर लीजिये ,
कितना रोया था मै तेरे दरवाजे पर आकर,
उन अश्को से तौबा अब तो कर लीजिये ,......akhil bhartiye adhikar sangthan ki tarf se dr alok chantia ki rachna
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