Monday, July 27, 2020

क्या कहूँ तुमसे मान कर अपना

क्या कहूँ तुमसे मान कर अपना ........
भूल जाऊ  तुमको नहीं थे सपना ..........
दो पैर से चार बना कर चले थे .......
अकेले हूँ क्या शेष था अभी तपना .......रिश्ते शायद लिखने में ही  अधूरे है  इस लिए बड़ा मुश्किल है ये जान पाना कि बनाये रिश्ते की उम्र क्या होगी ...............क्या रिश्ता जीना सिर्फ सांसारिक भ्रम है ...

No comments:

Post a Comment