Thursday, July 30, 2020
Wednesday, July 29, 2020
मैं जागा ही कब था जो सो जाऊ
मैं जागा ही कब था जो सो जाऊ .........
मैं भागा ही कब था सो रुक जाऊ ......
कितने टेड़े मेढ़े रास्तो से होकर गुजरा .....
मैं धागा ही कब था जो सी जाऊ ..........
आपको अक्सर यह भ्रम हो जाता है कि मैं निर्माता हूँ जब कि ऐसा कुछ नहीं होता बल्कि आप बस उस के अनुसार अपना काम करते है और जिस दिन आप इस बात को समझ लेंगे आपको कभी घमंड नहीं आएगा
Tuesday, July 28, 2020
चाँद तेरा भी है .................BY ALOK CHANTIA
चाँद तेरा भी है ,
चाँद मेरा भी है ,
रात तेरी भी है ,
रात मेरी भी है ,
न चाँद मुसलमान है ,
ना रात हिन्दू है ,
मान लो आसमान ही ,
सभी का सहारा है ,
न तुम जीते हो ,
ना कोई कही हारा है
गले मिल कर जीना,
होली कही होती है ,
कही गले मिल कर ,
ईद की रीति होती है ,
आओ चाँद देख कर ,
ख़ुशी का सूरज छू ले ,
कल की सेवइयों में ,
सिर्फ हिंदुस्तानी हो ले ,
कही छूट ना जाये कोई
दौड़ के ईदी तो ले ले ,
फिर से इस देश में संग ,
हिन्दू मुस्लिम खेले ...............
जिन्दा मैं नहीं वो है जो मुझे कहेंगे
जिन्दा मैं नहीं वो है जो मुझे कहेंगे .........
मरा मैं नहीं वो है जो मुझ पर रोयेंगे .....
मैं तो सिर्फ मुसाफिर हूँ इस दुनिया का .......
वो तो आज यहाँ है कल कही सोयेंगे ......... बेवजह लोग एक दुसरे के लिए पागल हो रहे है .जबकि जो दो लोग एक दुसरे के लिए पागल हो रहे है वो मरेंगे भी साथ नही .....इस लिए किसी भी मुसाफिर को भरपूर आनंद दीजिये
Monday, July 27, 2020
क्या कहूँ तुमसे मान कर अपना
क्या कहूँ तुमसे मान कर अपना ........
भूल जाऊ तुमको नहीं थे सपना ..........
दो पैर से चार बना कर चले थे .......
अकेले हूँ क्या शेष था अभी तपना .......रिश्ते शायद लिखने में ही अधूरे है इस लिए बड़ा मुश्किल है ये जान पाना कि बनाये रिश्ते की उम्र क्या होगी ...............क्या रिश्ता जीना सिर्फ सांसारिक भ्रम है ...
Sunday, July 26, 2020
कारगिल मे जो शहीद हुए उनको नमन
कारगिल मे जो शहीद हुए उनको नमन
................................................
क्यों अपने को अभी मनुष्य कह रहे हो ,
दो रोटी के लिए जानवर से रह रहे हो ,
बेच दी अपनी अस्मिता जीने के लिये
जिंदगी में आज क्यों मौत जी रहे हो ,
कल को लोग न कहे कुत्ते की मौत मरा,
अब क्यों नही आदमी बन कर जी रहे हो ,......
हम सबको उन वीरों के लहू और जान की कीमत समझनी होगी ज़िनके कारण हम ज़िन्दा है अखिल भारतीय अधिकार संगठन का नमन
जीवन को मैंने जीकर पाया है
जीवन को मैंने जीकर पाया है .........
कर्म बिना लगता जाया है ..............
कितनो ने क्या समझा इसको ........
गर्भ का दर्द खुद जीने आया है ..................हम सब समझते है कि हम जीवन जी रहे है पर असल में माँ का दर्द ही हमारे जीवन का अक्स बन कर जीता है .......
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