Thursday, July 30, 2020

तुम्हारी चुप्पी ..................BY ALOK CHANTIA


ओ नुकसान ..........by alok chantia


जाने का मन नहीं करता .......BY ALOK CHANTIA


दुनिया से यारी है इतनी ...........BY ALOK CHANTIA


बात बात पर नहीं बिगड़ते .......BY ALOK CHANTIA


कांटे भी तुम्हारा साथ पाने के लिए ....BY ALOK CHANTIA


प्रिय दूरदर्शन ..............BY ALOK CHANTIA


तन्हाई जब जब .............BY ALOK CHANTIA


वो मुझे अब जख्म देने लगा है ..........BY ALOK CHANTIA


तारों की तलाश में ........BY ALOK CHANTIA


हर कोई अब खुद को ..........BY ALOK CHANTIA


पता नहीं क्यों अब मन नहीं .............BY ALOK CHANTIA


स्वर्ग नर्क ...............BY ALOK CHANTIA


पहले जैसी बात नहीं ..........BY ALOK CHANTIA


मेरे जीवन में दस्तक वही दे ...............by alok chantia


Wednesday, July 29, 2020

क्या कारन है साँसों के रास्ते .............BY ALOK CHANTIA


हैरत नहीं हुई ......................BY ALOK CHANTIA


अगर जिंदगी का मतलब यही है ............BY ALOK CHANTIA


मैं जागा ही कब था जो सो जाऊ

मैं जागा ही कब था जो सो जाऊ .........
मैं भागा ही कब था सो रुक जाऊ ......
कितने टेड़े मेढ़े रास्तो से होकर गुजरा .....
मैं धागा ही कब था जो सी जाऊ ..........
आपको अक्सर यह भ्रम हो जाता है कि मैं निर्माता हूँ जब कि ऐसा कुछ नहीं होता बल्कि आप बस उस के अनुसार अपना काम करते है और जिस दिन आप इस बात को समझ लेंगे आपको कभी घमंड नहीं आएगा

रात दिन की तरह ...............BY ALOK CHANTIA


जब भी जिंदगी में ........................BY ALOK CHANTIA


सूरज की बैशाखी से ..........BY ALOK CHANTIA


तन के इर्द गिर्द ...............BY ALOK CHANTIA


ए बारिश की बूंदों ..............BY ALOK CHANTIA


कम नहीं होता ..........BY ALOK CHANTIA


सबकी बातें सुन लो लेकिन .............BY ALOK CHANTIA


Tuesday, July 28, 2020

उसे देखे बिना ............BY ALOK CHANTIA


ओ दुनिया .................BY ALOK CHANTIA


तुम नहीं बदले ...........BY ALOK CHANTIA


रात से जुड़कर .............BY ALOK CHANTIA


जिंदगी मुस्कराने लगी ...........BY ALOK CHANTIA


मौत मेरी हो रही है ...........BY ALOK CHANTIA


चाँद तेरा भी है .................BY ALOK CHANTIA

चाँद  तेरा भी है ,
चाँद मेरा भी है ,
रात तेरी भी है ,
रात मेरी भी है ,
न चाँद मुसलमान है ,
ना रात हिन्दू है ,
मान लो आसमान ही ,
सभी का सहारा है ,
न तुम जीते हो , 
ना कोई कही हारा है 
गले मिल कर जीना,
होली कही होती है ,
कही गले मिल कर ,
ईद की रीति होती है ,
आओ चाँद देख कर ,
ख़ुशी का सूरज छू ले ,
कल की सेवइयों में ,
सिर्फ हिंदुस्तानी हो ले ,
कही छूट ना जाये कोई 
दौड़ के ईदी  तो ले ले ,
फिर से इस देश में संग ,
हिन्दू मुस्लिम खेले ...............

जिन्दा मैं नहीं वो है जो मुझे कहेंगे

जिन्दा मैं नहीं वो है जो मुझे कहेंगे .........
मरा मैं नहीं वो है जो मुझ पर रोयेंगे .....
मैं तो सिर्फ मुसाफिर हूँ इस दुनिया का .......
वो तो आज यहाँ है कल कही सोयेंगे ......... बेवजह लोग एक दुसरे के लिए पागल हो रहे है .जबकि जो दो लोग एक दुसरे के लिए पागल हो रहे है वो मरेंगे भी साथ नही .....इस लिए किसी भी मुसाफिर को भरपूर आनंद दीजिये

Monday, July 27, 2020

मौत चुपचाप धैर्य के साथ ........BY ALOK CHANTIA


जिंदगी से मोहब्बत ....................BY ALOK CHANTIA


कौन नहीं जानता है .........BY ALOK CHANTIA


जिंदगी की बेफवाई तो ...........BY ALOK CHANTIA


प्रिय फूल ...............BY ALOK CHANTIA


तय नहीं कर पाते हम ...........BY ALOK CHANTIA


आप दोनों का होना ...............BY ALOK CHANTIA


झूठ बोलकर दिल में .........BY ALOK CHANTIA


अब तो जिंदगी से ...........BY ALOK CHANTIA


हर जतन के बाद .............BY ALOK CHANTIA


ये ऊँची इमारतें .............BY ALOK CHANTIA


अग्निपंख दे गया ..............BY ALOK CHANTIA


कई बार मोहब्बत भी .............BY ALOK CHANTIA


क्या कहूँ तुमसे मान कर अपना

क्या कहूँ तुमसे मान कर अपना ........
भूल जाऊ  तुमको नहीं थे सपना ..........
दो पैर से चार बना कर चले थे .......
अकेले हूँ क्या शेष था अभी तपना .......रिश्ते शायद लिखने में ही  अधूरे है  इस लिए बड़ा मुश्किल है ये जान पाना कि बनाये रिश्ते की उम्र क्या होगी ...............क्या रिश्ता जीना सिर्फ सांसारिक भ्रम है ...

Sunday, July 26, 2020

कारगिल मे जो शहीद हुए उनको नमन

कारगिल मे जो शहीद हुए उनको नमन 
................................................
क्यों अपने को अभी मनुष्य कह रहे हो ,
दो रोटी के लिए जानवर से रह रहे हो ,
बेच दी अपनी अस्मिता जीने के लिये 
जिंदगी में आज क्यों मौत जी रहे हो ,
कल को लोग न कहे कुत्ते की मौत मरा,
अब क्यों नही आदमी बन कर जी रहे हो ,......
हम सबको उन वीरों के लहू और जान की कीमत समझनी होगी ज़िनके कारण हम ज़िन्दा है अखिल भारतीय अधिकार संगठन का नमन

जीवन को मैंने जीकर पाया है

जीवन को मैंने जीकर पाया है .........
कर्म बिना लगता जाया है ..............
कितनो ने क्या समझा इसको ........
गर्भ का दर्द खुद जीने आया है ..................हम सब समझते है कि हम जीवन जी रहे है पर असल में माँ का दर्द ही हमारे जीवन का अक्स बन कर जीता है .......

नाग पंचमी ...................BY ALOK CHANTIA


इतनी जल्दी भी क्या है ..................BY ALOK CHANTIA


कोई तो आस पास रहता है ...........BY ALOK CHANTIA


गर्भ के अँधेरे में .......BY ALOK CHANTIA


ऐ इंटरनेट .................BY ALOK CHANTIA


शुक्र मनाओ ...............BY ALOK CHANTIA