Friday, April 24, 2020

बलात्कार......

बलात्कार......

न जाने कितनी आँखे रोती रही ,
और मौत मेरे संग सोती रही ,
कब पसंद आई मोहब्बत उनको ,
तन्हाई कमरे में अब होती रही ,
कितने बेदर्दी से निकाला घर से ,
सांस न जाने कहाँ खोती रही ,
मेरी प्रेम कहानी का अंत देखो ,
मौत जल कर जिन्दगी ढोती रही ,
मेरी राख को भी नदी में बहा कर ,
मिटटी में कोई बीज फिर बोती रही,
ये क्या आलोक को सिला मिला उनसे ,
मौत को देख उनकी मौत होती रही ,..............बलात्कार से एक लड़की के शरीर की ही मौत नहीं होती बल्कि उसकी आत्मिक , मानसिक मौत भी हो जाती है
डॉ आलोक चान्टिया
अखिल भारतीय अधिकार संगठन

पैसा !!!!!!!!!!!!!!!!!

पैसा !!!!!!!!!!!!!!!!!
मुझे न पता था कि,
एक दिन इतना ,
अकेला रह जाऊंगा ,
बात करूँगा पर ,
सामने सिर्फ सन्नाटी,
दीवार ही पाउँगा
लोग मेरी गरीबी ,
का मजाक उड़ाते ,
मिल जायेंगे ,
पैसा का हक़ दिखा कर ,
हर पल मेरी हैसियत
बता जायेंगे  पर  ,
किसी को क्या पता
मिटटी के महादेव
की कहानी ,
राम को समुन्द्र
उसी के सहारे
पार करा जाऊंगा ,
सोने की लंका में ,
बैठी सीता न सही ,
रावन का अहंकार ,
मिटा ही जाऊंगा ,
मंजूर है अर्जुन ,
और राम का वो
चौदह साल का वनवास ,
हस्तिनापुर भी मेरा होगा
और लंका का अहम्
अब जला ही जाऊंगा ............डॉ आलोक चान्टिया, अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Wednesday, April 8, 2020

काँटों में भी फूल खिला कर

काँटों में भी फूल खिला कर ,
सबको हरसाना आता है ,
फिर तो तुम मानव हो पगले ,
तुम्हे ईश दिखाना आता है |.........१
मै आग सा जीवन लेकर ,
पानी सा जीवन क्यों खत्म,करूं
दूर सही पर आभास आलोक सा ,
मोती , मछली सा क्यों मै मरूँ.....२
आलोक की चाहत सबमे रहती ,
अंधकार समेटे क्यों बैठा है ,
घुट घुट कर आक्रोश सूर्य सा ,
अंतस तेज बन क्यों ऐठा है ,
दूर सही पर प्यारा सा लगता ,
हर सुबह जगाने आता है ,
आलोक न रहता किसी एक का ,
सिर्फ मुट्ठी में अँधेरा पाता है .....३ .....इस का कोई मतलब आपको समझ में आ रहा है .....डॉ आलोक चान्टिया

लड़की ................

लड़की ................

किलकारी न सुनी जिन्होंने ,
बजी ना द्वार शहनाई ,
एकाकी सा जीवन जीकर ,
दुर्गा महिषा सुर पायी ,
क्यों नहीं देवी से हट कर ,
सिर्फ औरत ही वो बन पायी ,
राग रागिनी अंक शायनी,
क्यों समय की हुई भरपाई .
एक चुटकी सिंदूर पाप का ,
आंसू दीवारो में भी पायी ,
लड़की को सुनकर खुश कौन ,
घर में बोझ की परछाई ,
आलोक नही उसके जीवन में ,
लड़की तू कैसी परिभाषा लायी