Monday, August 31, 2015

कहते क्यों नहीं

न जाने क्यों ,
जीवन मुझे महसूस
नहीं होता |
दिन भी होता है
रात भी होती है पर ,
 महसूस नही होता|,
एक सन्नाटे सा
फैलता पसरता ,
रोज हर तरह |
एक शोर सा ,
होता अंदर जैसे,
हो कोई विरह |
सांस का होना गर ,
जीवन है आलोक ,
तो चलती क्यों नही| ,
मौत का किलोल ,
सुनती भी नहीं ,
क्यों ढंग से सही |,
मानव तो वो भी ,
जो मारते मानव को ,
हर दिन हर रात |
कहते दानव क्यों ,
नहीं उनको कभी ,
करते सच्ची बात |

Sunday, August 23, 2015

भौत आदमी से बेहतर है

मुर्दो ने पूछा ,
आज यहाँ क्यों,
आये हो ,
क्या अपने घर ,
का रास्ता भूल ,
आये हो ,
मैंने कहा सुना था ,
भूत लोगो को ,
डराते है ,
कभी सपने में ,
को कभी सामने ,
आ जाते है |
पर अब तो शहर ,
में शैतान रहने ,
लगे है ,
लोग कुछ ज्यादा ,
सहमे सहमे से ,
रहने लगे है |
सड़क , घर , रेल ,
स्कूल में शरीर ,
को खाते है |
सच में श्मशान ,
हैवानो से बचाने,
खुद को आते है |
भूत आदमी से ,
काफी अच्छा साबित ,
हो रहा है |
बलात्कार , छेड़छाड़ ,
उसे आज भी परहेज ,
हो रहा है |
.........................बचपन में भूत की कहनी सुना कर हमको डराया जाता था पर आज सड़क पर कुछ हो ना जाये इस लिए डराया जाता है क्या आदमी भूत को भी पीछे छोड़ आया ????????? आलोक चान्टिया अखिल आरतीय अधिकार संगठन ...जियो और जीने दो

Saturday, August 22, 2015

रोज नयी बात लाता हूँ

हर दिन ही तो ,
मैं खुद को तमाशा ,
बनाता हूँ ,
ना जाने कितने ,
शब्दों में रंग के ,
कोई बात लाता हूँ ,
तुम अपने नशे में ,
रोज तौलते हो ,
शब्द और मुझको,
तुमसे कह कर भी ,
दुनिया के लिए ,
क्या पाता हूँ ?
डंक मार दोगे,
आदमी का दर्द ,
जाने बिना एक बार ,
ये जान कर भी मैं ,
बिच्छू का सच लिए ,
आ जाता हूँ ,
हर दिन ही तो ,
मैं खुद को तमाशा
बनाता हूँ |
ना जाने कितने
शब्दों में रंग के
कोई बात लाता हूँ .......................शायद हम कुछ समझा नहीं चाहते इसी लिए किसी भी सुधर या नए कल में वक्त लगता है .................आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Monday, August 3, 2015

मनुष्यता का सार ...................

पतन मेरा नहीं ,
वतन का होता है ,
कोई भी काम जब
बिना जतन के होता है |
यूँ तो जी लेता है ,
हर एक कीड़ा मकोड़ा भी ,
मनुष्य कहने वालों ,
तेरा काम चमन का होता है|
क्यों इतरा गए तुम ,
शक्ति पाकर इतनी ,
मनुष्यता का सार बस ,
नमन का होता है |
अगर हम आप एक उद्देश्य के बिना काम करेंगे तो खुद तो अवनति की और जायेंगे ही और हमारा देश खुद उन्नति नहीं कर पायेगा | अखिल भारतीय अधिकार संगठन