क्या कहूँ क्या जीवन मेरा ,
मौत से बेहतर से क्या जानूँ,
छोड़ गए जो मुझे अकेला ,
उनको मानव मैं क्यों मानूं ,
जो कहते थे लोग सभी ,
सुख के सब साथी होते है ,
वही अक्सर बाजार में खड़े ,
मेरे सुख के खरीददार होते है ,
मुझे कोई फर्क नहीं अँधेरे का ,
सपने तभी सुन्दर आते है ,
कोई ताज महल तामीर होता ,
जब आलोक से दूर जाते है ,
मेरे गरीबी के जलते दीपक ,
तुमको दीपावली ख़ुशी देंगे ,
मेरे फटे हाल कपडे के सपने ,
उचे लोग फैशन में लेंगे ,
फिर छूट रही है ऊँगली ,
मुट्ठी में रेत की तरह आज ,
सिलवटें, मसले हुए फूल ,
ना जानेंगे रात का राज ,
अब अँधेरा तो बहुत है ,
रिश्तो के दायरों में लेकिन ,
पर एक रिश्ता फिर उभरा ,
मेरी बर्बादी से तेरा मुमकिन ...........
पता नहीं क्या लिखता रहा कभी समझ में आये तो मुझे समजाहिएगा जरूर क्योकि आज आदमी से ज्यादा बर्बादी का खेल कोई नहीं खेल रहा एक पागल कुत्ता भी नहीं एक जहरीला सांप भी नहीं .......
मौत से बेहतर से क्या जानूँ,
छोड़ गए जो मुझे अकेला ,
उनको मानव मैं क्यों मानूं ,
जो कहते थे लोग सभी ,
सुख के सब साथी होते है ,
वही अक्सर बाजार में खड़े ,
मेरे सुख के खरीददार होते है ,
मुझे कोई फर्क नहीं अँधेरे का ,
सपने तभी सुन्दर आते है ,
कोई ताज महल तामीर होता ,
जब आलोक से दूर जाते है ,
मेरे गरीबी के जलते दीपक ,
तुमको दीपावली ख़ुशी देंगे ,
मेरे फटे हाल कपडे के सपने ,
उचे लोग फैशन में लेंगे ,
फिर छूट रही है ऊँगली ,
मुट्ठी में रेत की तरह आज ,
सिलवटें, मसले हुए फूल ,
ना जानेंगे रात का राज ,
अब अँधेरा तो बहुत है ,
रिश्तो के दायरों में लेकिन ,
पर एक रिश्ता फिर उभरा ,
मेरी बर्बादी से तेरा मुमकिन ...........
पता नहीं क्या लिखता रहा कभी समझ में आये तो मुझे समजाहिएगा जरूर क्योकि आज आदमी से ज्यादा बर्बादी का खेल कोई नहीं खेल रहा एक पागल कुत्ता भी नहीं एक जहरीला सांप भी नहीं .......
आपकी लिखी रचना बुधवार 03 सितम्बर 2014 को लिंक की जाएगी........
ReplyDeletehttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!