शत शत अभिनन्दन ,
तेरे इस नंदन का ,
स्वीकार करो वंदन ,
ये माँ महिषासुर मर्दन ,
तेरी कोख के हम सब ,
पुष्प सुवासित इस जग में ,
रब होता है कैसा ,
माँ से जाना हम सब ने ,
माँ होकर दर्द हमारे समझे
पृथ्वी को दे दिया उन पहलुओ के लिए ,
जिनके दर्द है अनबूझे,
आज तेरा दिवस मना कर ,
मानव क्या हो पायेगा ,
उन कर्जो से मुक्त कभी ,
जिनको अपने रक्त दूध से सीच ,
तूने पूरब का उजाला दिया ,
और हस्ते है हम सभी ....
पूरे विश्व की माओं को अखिल भारतीय अधिकार संगठन अभिनन्दन करता है यह अभिनन्दन सिर्फ इस लिए नही कि हम ने अपनी माँ को याद किया है बल्कि इस लिए भी क्योकि उस माँ के लिए मई कभी रात में नही जगा , उसके लिए कभी खाना नही बनाया , रिश्तो में जिस रिश्ते से सबसे ज्यादा झगडा हम करते है वह है हमारी माँ ..फिर भी वह इंतज़ार में रहती है कि मुझे भूख लगी होगी , उसके प्रेम से ज्यादातर हम झुंझला उठते है जब वह प्रेम से बालो में हाथ फिरती है जबकि हम चाहते है कि एक लड़की हमारे इर्द गिर्द रहे , वह हमसे पहले उठती है और मुझसे बाद में सोती है , परिवार के लिए ख़ुशी देने के लिए वक्ष कैंसर , सर्विकल कैंसर का दर्द बर्दाह्स्त करने वाली माँ को क्या शब्दों में आँका जा सकता है क्या इन दो शब्दों को कहकर हम भाग सकते है , नही ....एक दिन आप भी अपनी माँ के लिए कुछ भी बनाइए , उसका सर दबाइए और एक गिलास पानी दीजिये और आज सोचये कि आप ने अपनी माँ अंतिम बार पानी कब दिया था ???????? आइये हम सब अपनी माँ के लिए संवेदन शील बने .....काश मै माँ के किसी एक गुण को जी पाता....आपको अभिनन्दन माँ .......आज मै अपना नाम नही लिखना चाहता क्योकि यह बात मै विश्व के हर पुत्र की तरफ से लिख रहा हूँ