आलोक चान्टिया कीकविता और शायरी - ALOK CHANTIA
Friday, July 9, 2021
तारों की बारात देखने को मिल जाती है ..........HINDI POEM BY ALOK CHANTIA
शहर में जंगल की तरह ख़ामोशी छा गयी है ..........ALOK CHANTIA
हर कोई तलबगार है रात की ख्वाहिश का ...........ALOK CHANTIA
बैठा ही रहा रात आधी बीतने को आ गयी
Friday, July 2, 2021
रात का गुनाह सिर्फ इतना रहा ...................HINDI POEMS BY ALOK CHANTIA
तारों को छिपा कर बादल है रहे हैं ........HINDI POEMS BY ALOK CHANTIA
Thursday, July 1, 2021
रात का दिल आलोक काला नहीं है ...........HINDI POEMS BY ALOK CHANTIA
मौत से मिलने की तमन्ना में किसी में नहीं ..............HINDI POEMS BY ALOK CHANTIA
रिश्ते के जो निशान तुमने छोड़े हैं ................HINDI POEMS BY ALOK CHANTIA
पोर पोर दर्द में आलोक डूब रहा है ................HINDI POEMS BY ALOK CHANTIA
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