Monday, April 5, 2021

माना मेरे मुस्तकबिल .................... ALOK CHANTIA


 

हर किसी के अंदर ............................ ALOK CHANTIA


 

आलोक को कोई भी दर्द ........... ALOK CHANTIA


 

निहारते रहने के लम्हो में .......... ALOK CHANTIA


 

मैं तो दुनिया को ............... ALOK CHANTIA


 

है हाथो से दूर फिर भी .....................ALOK CHANTIA


 

मुठ्ठी में बंद सूरज ......... ALOK CHANTIA


 

सपने तो मैंने भी बहुत .............. ALOK CHANTIA


 

मैं जानता हूँ एक फासला है उम्र का ............. ALOK CHANTIA


 

मेरे हर्फ़ को भी आरजू ........... ALOK CHANTIA


 

जिंदगी को लपेटते लपेटते ........................ ALOK CHANTIA


 

मेरे होने की शर्त बस ......................... ALOK CHANTIA


 

मिलती नहीं जिंदगी चार दिन ................... ALOK CHANTIA


 

मैं भी कहाँ सो पाया ................... ALOK CHANTIA


 

साँसों की बेवफाई जान भी ....................... ALOK CHANTIA


 

क्या तुम भी अपने को ........................... ALOK CHANTIA


 

मैंने एक कविता लिखी है ........................... ALOK CHANTIA


 

मेरी बांतो की सच्चाई पर ................................. ALOK CHANTIA


 

हँसे नहीं हम आप हंसी ........................... ALOK CHANTIA


 

तिमिर का सन्नाटा ......................... ALOK CHANTIA


 

इतनी ख़ामोशी का मंजर .............................. ALOK CHANTIA


 

आसुंओ ने भी रास्ता ................................. ALOK CHANTIA


 

यह भी मोहब्बत का ............................. ALOK CHANTIA


 

हर दिन होती मौत को ................................ ALOK CHANTIA


 

जिंदगी में जो समय .................................. ALOK CHANTIA


 

खुद को जानने में ..........................................................आलोक चांटिया