कितनी अजीब बात थी ,
वो एक मनहूस रात थी ,
तारो से चमकते आसमान में,
गोलियों की बरसात थी ,
आतंकवाद की फसल उगी ,
मानवता फिर हैरान थी ,
निर्दोष मर गए जाने क्यों ,
बात नही आसान थी ,
शेर भेड़िये भी हुए शर्मिंदा ,
ये उनकी कैसी पहचान थी ,
आदमी को आदमी ने मारा ,
संस्कृति की कैसी ये शान थी |......
अखिल भारतीय अधिकार संगठन पेरिस में मारे गए मानव को श्रद्धांजलि अर्पित करता है
वो एक मनहूस रात थी ,
तारो से चमकते आसमान में,
गोलियों की बरसात थी ,
आतंकवाद की फसल उगी ,
मानवता फिर हैरान थी ,
निर्दोष मर गए जाने क्यों ,
बात नही आसान थी ,
शेर भेड़िये भी हुए शर्मिंदा ,
ये उनकी कैसी पहचान थी ,
आदमी को आदमी ने मारा ,
संस्कृति की कैसी ये शान थी |......
अखिल भारतीय अधिकार संगठन पेरिस में मारे गए मानव को श्रद्धांजलि अर्पित करता है