Saturday, February 16, 2013

kya yahi hai unka chehra

मेरी ख़ुशी पर वो ,
ख़ुशी का इजहार कर न सके ,
मेरी मौत पर वो ,
अपनी मौत का ऐतबार कर नहीं सके ,
कहते थे हमेशा ,
दो जिस्म में एक जान है हम ,
मेरी कब्र की बुनियाद  पे खड़े वो ,
अपने घर की दीवार गिरा, न सके ...........

Friday, February 15, 2013

kya aap kamal hai

शहर में सभी शरीफ हो गए ,
ना जाने कितने मशरूफ हो गए ,
मैं कीचड़ में रहता रहा पर,
वो कमल बदस्तूर हो गए .....................आप सभी बसंत पंचमी की शुभकामना और इस लाइन में देखिये उन लोगो के अक्स तो अपने को कमल दिखने के लिए सिर्फ कीचड़ uchhalne में विश्वास रखते है